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Friday, 10 March 2023

Karani Mata Temple,Karani Mata Temple Bikaner,Deshnok Karani Mata,Deshnok Karani Mata Mandir

 देशनोक करणी माता मन्दिर ( Karani Mata Temple ) 

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नमस्कार दोस्तों, भारत को आस्थाओं का देश कहा जाता है। यहां पर पूरे देश में बहुत सारे मन्दिर हैं। हर मन्दिर की अपनी कोई न कोई अलग विशेषता जरुर देखने व सुनने को जरुर मिलती है।Karani mata Temple जो कि राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है।karani mata Temple भी एक प्रसिद्ध मन्दिर है। जहां पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। आज इस लेख में karani mata Temple Bikaner के बारे में आपको पूरी जानकारी देखने को मिलेगी, इसलिए आप इस लेख में अन्त तक जरुर बने रहें। Deshnok Karani Mata जिसे ' चूहों की देवी' भी कहा जाता है।


करणी माता मन्दिर का इतिहास (Karani Mata Temple):- karani Mata Mandir एक प्रसिद्ध मन्दिर है। Karani Mata का जन्म चारण कुल में हुआ था। इस मन्दिर में करीब 25 हजार के आस पास चूहे विचरण करते हैं, जिन्हें काबा कहा जाता है। ये चूहे मन्दिर परिसर से बाहर कभी नहीं जाते हैं। इन सब कारणों से यह मन्दिर अन्यों मंदिरों से भिन्न विशेषता रखता है। मन्दिर में सफेद चूहों के दर्शन बहुत ही मंगलकारी माना जाता है, यदि आपको सफेद चूहों के दर्शन होते है तो आपको अपनी मंजिल में बहुत ही तरक्की मिलेगी। मन्दिर के मुख्य द्वार पर सफेद संगमरमर से नक्काशा हुआ है। चांदी के दरवाजे, सोने के छत्र व चूहों के लिए प्रसाद के लिए रखी गई बड़ी सी चांदी की परात काफ़ी दर्शनीय है। ये चूहे मन्दिर परिसर में घूमते रहते है परन्तु किसी भी भक्त को ये नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। Karani Mata temple का निर्माण महाराज गंगासिंह ने करवाया था।

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Deshnok Karani mata Mandir:- राजस्थान के बीकानेर जिले में देशनाेक में यह मंदिर स्थित है। बीकानेर से यह मन्दिर करीब 30 किमी दूरी पर है। यह मन्दिर बीकानेर से नोखा जाने वाले राजमार्ग पर स्थित है। देशनोक में रेलवे स्टेशन भी है। जहां से karani mata Temple की दूरी महज 1 किमी है। रेलवे स्टेशन से मन्दिर जाने के लिए आपको आसानी से टैक्सी, ऑटो मिल जाते हैं। 


देशनक करणी माता (Karani Mata Temple Bikaner) :- इस मन्दिर में चैत्र शुक्ल पक्ष व आश्विन शुक्ल पक्ष को प्रथमा से नवमी तक नवरात्रि का आयोजन होता है। इस शुभ अवसर पर यहां पर विशाल मेला भी भरता है। श्रद्धालुओं के रुकने के लिए मन्दिर के पास में धर्मशालाएं भी है। मंगला आरती के समय सारे चूहे बिलों से बाहर आ जाते हैं। ये चूहे भक्तो के कही भी विराजमान हो जाते हैं, परन्तु कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। गलती से भी किसी चूहे को चोट मारना यहां पाप माना जाता है, यदि किसी से गलती से भी चूहे की हानि हो जाति है उसे दण्ड के रूप में सोने से निर्मित चूहा भेंट करना होता है। इसलिए मंदिर में karani Mata के दर्शन के लिए जाते समय सभी श्रद्धालु पैर घसीटते हुए चलते हैं क्योंकि पैर उठाकर चलने से चूहों के पैरो के नीचे आने का खतरा रहता है। इतने चूहे किसी अन्य मंदिर में नहीं देखने को मिलते हैं। इन कारणों से ही इस मंदिर को चूहों का मन्दिर भी माना जाता है। यहां दर्शन के लिए जाते समय चूहों के लिए प्रसाद लेके जाना शुभ माना जाता है, प्रसाद के रूप में भुने हुए चने,दूध व मिठाई इन चूहों को खिलाया जाता है।

Wednesday, 8 March 2023

खाटूश्याम मन्दिर का इतिहास, खाटूश्याम मन्दिर कैसे जाएं, खाटूश्याम मन्दिर कहा है,Temple near me , हारे का सहारा खाटूश्याम

        खाटूश्याम मन्दिर की सम्पूर्ण जानकारी 


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राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटूश्याम जी का मन्दिर पूरे भारत वर्ष में एक प्रसिद्ध स्थल है। यहां पर लाखों श्रद्धालु धोक लगाने के लिए आते हैं। इस मन्दिर की ये विशेषता रही है कि जो भी यहां धोक लगाने के लिए आता है उसकी मनोकामना बाबा श्याम जरुर पूरी करते हैं। यहां आने वाले सभी भक्तो की झोली श्याम बाबा जरुर भरते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि यह मन्दिर पूरे भारत वर्ष में इतना प्रसिद्ध क्यों हैं। इस मन्दिर का इतिहास क्या है। इस मन्दिर की सम्पूर्ण जानकारी आपको मिलेगी तो आप इस लेख हमारे साथ अंत तक जरुर बने रहें।


खाटूश्याम मन्दिर का इतिहास:- खाटूश्याम मन्दिर का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है। जिसमे भीम के पुत्र कठोत्कच का पुत्र बर्बरीक हुआ था। कठोर तपस्या के कारण बर्बरीक को वरदान प्राप्त हुआ था। बर्बरीक के पास केवल तीन तीर थे। वो तीनो तीर इतने घातक थे कि एक तीर से ही पूरे महाभारत के युद्ध को समाप्त कर सकते थे। इस कारण बर्बरीक ने यह निर्णय लिया की वो कमजोर पक्ष की और से युद्ध करेंगे। जिससे युद्ध न्यायपूर्ण रह सके। ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों का विनाश निश्चित था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान में उसका सिर ( शीश दान ) मांगा। बर्बरीक ने स्वयं को नारायण के हाथों मिलने वाली मृत्यु को स्वीकार किया, और श्रीकृष्ण को अपना सिर दान कर दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को यह आशीर्वाद दिया कि कलयुग में उसको श्याम के नाम से पूजा जाएगा। खाटूश्याम जी मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में खाटू नरेश रूपसिंह ने करवाया था। खाटूश्याम मन्दिर पूरे भारत में कृष्ण जी मंदिरों में से सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसे कलयुग में श्रीकृष्ण का अवतार भी मानते हैं। 


खाटूश्याम मन्दिर कैसे जाएं:- खाटूश्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह मन्दिर बीकानेर आगरा मार्ग पर रिंगस से करीब 20 किमी दूरी पर स्थित है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन रिंगस जंक्शन है जहां से यह मन्दिर 15 किमी दूर है। रेलवे स्टेशन से बाहर टैक्सी, ऑटो रिक्शा जैसे साधन आसानी से मिल जाते हैं। रिंगस जयपुर रेलवे स्टेशन से 60 किमी की दूरी पर स्थित है। रिंगस से सीकर, जयपुर, दिल्ली, फुलेरा, अजमेर,चूरू, बीकानेर के लिए ट्रेनें जाती है। इसके अलावा बीकानेर आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी बसे आसानी से मिल जाती है। 


खाटूश्याम जी मेला कब लगता है :- हर साल खाटूश्याम मन्दिर में फाल्गुन के महीने में सबसे बड़ा मेला भरता है। यह मेला अष्टमी से द्वादशी तक मनाया जाता है। इस अवसर पर पूरे देश भर से लोग यहां पहुंचते हैं। खाटूश्याम मन्दिर के पास ही एक कुंड भी बना हुआ है। इसे श्यामकुंड के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुंड को खोदकर खाटूश्याम जी का कटा हुआ सिर निकला था। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस कुंड में स्नान करता है तो उसके सारे दोष दूर हो जाते हैं और उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है। खाटूश्याम को हारे का सहारा भी कहते हैं।

Monday, 6 March 2023

मनाली घूमने कैसे जाएं, मनाली जाने में कितना खर्चा आता है, मनाली घूमने से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी,Temple near me

                मनाली एक पर्यटक स्थल   


मनाली घूमने कैसे जाएं, मनाली जाने में कितना खर्चा आता है, मनाली घूमने से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी


नमस्कार दोस्तों, आज इस लेख में भारत के पर्यटक स्थलों में से एक मनाली के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है। बहुत सारे लोगो को यहां पर घूमने के लिए पूरी जानकारी नहीं होती है, इसलिए वो अपने प्लान को अच्छे से एन्जॉय नहीं कर पाते है। मनाली एक बहुत अच्छा पर्यटक स्थल है। यहां पर हर वर्ष लाखों लोग घूमने के लिए आते हैं। यहां का दृश्य हर किसी के मन को लुभाता है। शांत जगह पर बसा हुआ यह शहर, एकदम साफ सुथरा वातावरण हर किसी का मन मोह लेता है। ऐसे स्थानों पर जाने से आपको मन की शान्ति प्राप्त होती है। साथ ही जिस भी क्षेत्र में आप कार्य करते है आपका दिमाग भी अच्छे से काम करता है। 


मनाली कैसे जाएं:- मनाली जाने के लिए आप अपने खुद के वाहन से भी जा सकते हैं। यदि आपके पास कोई वाहन नहीं है तो आप बस या ट्रेन से भी आराम से जा सकते हैं। मनाली से नजदीकी रेलवे स्टेशन दिल्ली और चंडीगढ़ है। यहां से आगे जाने के लिए आपको वॉल्वो एसी बस आराम से मिल जाती है, इनकी बुकिंग आप आनलाइन भी कर सकते हैं या फिर आप वहा से भी बुक करवा सकते हैं। इसके अलावा यहां पर हिमाचल प्रदेश की रोडवेज बस भी चलाई जाती है। इसके अलावा आप यदि दिल्ली या चंडीगढ़ से टैक्सी भी बुक करके भी जा सकते हैं। दिल्ली से मनाली की दूरी लगभग 540 किमी है। 


मनाली कब जाएं:- वैसे तो मनाली में हर मौसम में अच्छी खासी भीड़ देखने को मिलती है। परन्तु मनाली में सर्दियों के मौसम में होने वाली बर्फबारी के कारण यहां की प्रसिद्धि ओर बढ़ गई है। नवम्बर माह से फरवरी अंत तक यहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं। इस मौसम में अच्छी बर्फबारी देखने को मिलती है। मनाली में घूमने के लिए आप 3-4 दिन का प्लान बना सकते हैं। यदि आप सर्दियों के मौसम में जाते हैं तो आपको मनाली के सिंथन गांव में इग्लू में रुकने का मौका भी मिल जाएगा। 

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मनाली में रुकने व खाने की सुविधाएं: मनाली में रुकने को आपको होटल मिल जायेंगे। इन होटल का किराया पर्यटकों के अनुसार कम ज्यादा होता रहता है, परन्तु फिर आपको 600 - 800 रूपए एक रात्रि के अनुसार मिल जाता है। इसके अलावा आपको यहां खाने पीने की भी तमाम सुविधाएं मिल जायेगी। यहां के होटल और रेस्टोरेंट आपको मुख्य शहर में ही मिल जाते हैं, जिससे अधिक परेशानी नहीं होगी। 


मनाली में कहा कहा घूमे:- मनाली में घूमने के लिए यहां पर आप मनाली शहर घूम सकते हैं। इसके अलावा यहां पर एक मंदिर है जो कि काफी प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां पर एक पार्क भी है जो की काफी सुन्दर है। जहां पर सभी लोग घूमने के लिए जाते हैं। मनाली में सबसे अच्छी जगह सिंथन गांव है जहां पर बहुत सारी गतिविधियां देखने को मिलती है। यहां पर आप इग्लू का आनंद भी ले सकते हैं। इसके अलावा यहां पर पैरालाइडिंग भी एन्जॉय की जा सकती हैं। 


मनाली घूमने में कुल कितना खर्चा लगेगा:- जब आप कही भी घूमने के लिए जाते हैं तो उस पर होने वाला खर्च आप पर निर्भर करता है। लेकिन फिर भी मनाली में यदि आप 3-4 दिन रात रुकने का प्लान करते हैं तो आपका प्रति व्यक्ति 15000 रूपए खर्च हो जायेगा। इसमें आपके आने जाने का खर्चा, होटल का किराया, खाने पीने का खर्चा शामिल हैं। इसके अलावा आप अपने बजट के अनुसार खर्चे को कम ज्यादा भी कर सकते हैं। इग्लू जैसी खुबसूरती का आनंद लेने के लिए एक रात का 5000 रूपए खर्च आता है। मनाली में जानें से पहले आप पहले पूरी जानकारी हासिल करने के बाद ही घूमने के लिए जाएं। उम्मीद है कि आपको मनाली में घूमने के लिए जाने से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी मिल चुकी होगी। यदि कोई भी सवाल हो तो आप कॉमेंट कर सकते हैं। मनाली में आजकल काफी टूरिस्ट एजेंसी भी बन चुकी है, जो आपको पूरी ट्रिप की सुविधा प्रदान कराती है। इन एजेंसी से सम्पर्क आप आनलाइन कर सकते हैं। जो की आपको पूरी जानकारी प्रदान करेंगे। बर्फबारी का आनन्द लेने के लिए एक बार मनाली जरुर घूमने के लिए जाएं।

Saturday, 4 March 2023

सालासर का प्रसिद्ध बालाजी मंदिर, सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास, सालासर बालाजी की पूरी जानकारी, चूरू का प्रसिद्ध श्री बालाजी मंदिर सालासर

             सालासर बालाजी मंदिर चूरू राजस्थान 


नमस्कार दोस्तों, आज के लेख में सालासर में स्थित प्रसिद्ध बालाजी के मंदिर के बारे में आपको पूरा विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। इस मन्दिर में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु धोक लगाने आते हैं। साल में यहां दो बार विशाल मेलो का आयोजन भी होता है। पूरे भारत से यहां पर लोग धोक लगाने व अपनी मन्नत मांगने के आते हैं। इन सब के अलावा यहां पर सारे राजनेता,खिलाड़ी व अन्य बड़े व्यवसायी भी धोक लगाने के लिए आते रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां पर धोक लगाता है बालाजी महाराज उसकी इच्छा जरुर पूरी करते हैं।


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सालासर बालाजी मंदिर का परिचय:- ऐसा माना जाता है कि असोटा के एक किसान द्वारा खेत जोतने का कार्य किया जा रहा था। तभी यह मूर्ति उसके हल से टकराई। उसके बाद उस जाट किसान ने इस मूर्ति को पोछकर साफ किया। उसके बाद उसकी पत्नी के आगमन के बाद दोनों ने मिलकर उस मूर्ति को पहली बार चूरमे का भोग लगाया, इसलिए आज भी बालाजी को चूरमे का भोग लगाया जाता है। उस रात बालाजी ने उस किसान को सपने में दर्शन दिए और उस मूर्ति को अपनी बैलगाड़ी में लेकर जाने को बोला और यह वचन दिया की जहा भी बैल थक जाए वही इस मूर्ति को स्थापित कर देना। यही कारण है आज भी वही बैलगाड़ी मन्दिर परिसर में सुसज्जित तरीके से विराजमान हैं। सालासर बालाजी हनुमान भक्तो के लिए एक धार्मिक स्थल है। भारत में यह एकमात्र बालाजी मन्दिर है जिसमें बालाजी के दाढ़ी और मूछें है। इस मन्दिर का संचालन श्री हनुमान सेवा समिति द्वारा किया जाता है। मन्दिर में पूजा अर्चना पुजारी परिवार द्वारा की जाती है। 


सालासर बालाजी का मेला कब भरता है :- वैसे तो बालाजी मंदिर में रोजाना श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, परन्तु मंगलवार, शनिवार व रविवार को यहां खूब भीड़ देखने को मिलती है। इसके अलावा यहां पर दो बड़े मेलों का आयोजन भी होता है। जिसमे पहला मेला चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में प्रथमा से पूर्णिमा तक मेला भरता है व दुसरा मेला आश्विन के शुक्ल पक्ष में प्रथमा से पूर्णिमा तक भरता है। इन मेलों के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करते हैं। दर्शन करने के लिए भक्तो की 2-3 किमी कतार लग जाती है। हनुमान सेवा समिति के निर्देशन में इन मेलों का आयोजन होता है। सभी श्रदालुओ को यह समिति विभिन्न तरह की सुविधा भी प्रदान कराती हैं।


सालासर बालाजी मंदिर कहा है:- राजस्थान के चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील से 30 किलोमीटर दूर सालासर गांव में यह मंदिर स्थित है। यह जयपुर बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। यह सीकर से 60 किलोमीटर, लक्ष्मणगढ़ से 30 किमी, रतनगढ़ से 50 किमी की दूरी पर स्थित है। सालासर में मन्दिर से ही कुछ दूरी पर बस स्टैंड है जहां से विभिन्न शहरों के लिए बसों का संचालन भी किया जाता है। यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन सीकर, सुजानगढ़, लक्ष्मणगढ़, रतनगढ़ व चूरू लगते हैं। 


सालासर में दर्शनीय स्थल :- सालासर में बालाजी मंदिर में मोहनदास जी की धुनि भी एक दर्शनीय स्थल है। मोहनदास जी बालाजी के परम भक्त थे और उन्होने ही उस धुनि की शुरूआत की थी। जो की आज भी पूरे समय प्रज्वलित रहती है। इसके अलावा माता अंजनी का मंदिर भी यहां का प्रसिद्ध स्थल है। अंजनी जो कि बालाजी की माता थी। इसके अलावा सालासर में एक बालाजी गौशाला का भी संचालित की जाती है जो की काफी खूबसूरत के साथ बहुत दर्शनीय भी है। यहां का वातावरण भी काफी मनमोहक है ओर पूरे शहर को काफ़ी साफ सुथरा रखा जाता है।


सालासर में रुकने व खाने की सुविधाएं:- सालासर में ठहरने व खाने के लिए आपको समुचित व्यवस्था मिल जायेगी। यहां पर रुकने के लिए हर श्रेणी की होटल नुमा धर्मशाला मिल जायेगी। जो की मंदिर के आस पास के क्षेत्र में ही स्थित है। इन्ही धर्मशालाओं में खाने की तमाम प्रकार की सुविधा मिल जायेगी। इसके अलावा यहां पर बहुत सारे रेस्टोरेंट भी है। जहां पर उचित दर पर अच्छा खाना मिल जायेगा। उम्मीद है कि आपको तमाम जानकारी मिल चुकी है। इसके अलावा कोई भी सवाल है तो आप कॉमेंट कर सकते हैं आपको जवाब मिल जाएगा।



Friday, 3 March 2023

भानगढ़ का किला, भानगढ़ का रहस्य, रानी रत्नावती की कहानी, भानगढ़ कहा है , भानगढ़ का किला भूतिया क्यों माना जाता हैं।

 भूतों का गढ़ भानगढ़ का किला रहस्य व वास्तविक कहानी 

नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम भानगढ़ किले के रहस्य के बारे में जानकारी साझा करेंगे, उम्मीद है इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आपके सारे सवालों का जवाब भी मिल जाएगा। भूतिया कहानियों के कारण पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।

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भानगढ़ का किला एक परिचय:- भानगढ़ का किला राजस्थान के अलवर राज्य में स्थित है। भानगढ़ का किला भारत के सबसे भूतिया स्थानों में से एक माना जाता है, शायद तभी यह एक अनसुलझा रहस्य भी माना जाता है। अधिकांश लोगों का यह मानना है कि भानगढ़ का किला एक भूतिया किला है। सूर्यास्त के पश्चात इस किले में प्रवेश प्रतिबंधित है। लोगों का ऐसा मानना है कि रात को इस किले में रुकना अपनी जान को जोखिम में डालना है। क्योंकि यहां पर पैरानॉर्मल एक्टिविटीज होना पाया गया है।


भानगढ़ का इतिहास:-भानगढ़ के किले का निर्माण मानसिंह प्रथम ने अपने छोटे भाई माधव सिंह के लिए बनवाया था। दुर्ग का नाम भान सिंह के पिता के नाम पर है जो माधोसिंह के पितामह थे। वैसे तो इस किले के लिए बहुत सारी कहानियां मानी जाती है। परंतु ऐसा माना जाता है कि राजा छतर सिंह की पत्नी रत्नावती काफी खूबसूरत थी। इस किले में एक बार मेले का आयोजन किया गया था जिसमें एक मुन्नी की दृष्टि इन रानी पर पड़ गई थी उन्होंने रानी को वश में करने के लिए वशीकरण का मंत्र किया था। परंतु किसी कारणवश उनका मंत्र असफल हो गया तब गुस्से में उन मुनि ने इस किले के लिए श्राप दिया था कि यह रातों-रात विनाश को प्राप्त हो जाएगा। माना जाता है कि उसके अगले दिन ही यह किला नष्ट हो गया और किले में रहने वाले समस्त लोगों की मृत्यु हो गई थी। तब से यह स्थान एक भूतिया जगह में परिवर्तित हो गया है। 


भानगढ़ की वर्तमान स्थिति: भानगढ़ जोकि राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है, वर्तमान में यह पर्यटकों के लिए एक अच्छा टूरिस्ट स्थल है। भारत से यहां पर पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। परंतु सरकार द्वारा इस पर प्रतिबंधित है कि रात के समय में यहां पर किसी भी पर्यटक को नहीं रुकने दिया जाएगा। क्योंकि स्थानीय लोगों से पता चला है कि रात में यहां पर बहुत सारी ऐसी घटनाएं देखने यह सुनने को मिलती हैं जिन से पता चलता है कि रात में यहां पर रुकना अपनी जान को जोखिम में डालने के बराबर है। रात में यहां पर चूड़ियों की आवाज, महिलाओं के रोने की आवाज, बच्चों के चिल्लाने की आवाज, इसके अलावा ऐसी बहुत सारी घटनाएं देखने व सुनने को मिलती है। वर्तमान में भानगढ़ किले पर पहुंचने पर वहां पर संपूर्ण विनाश का प्रमाण देखने को मिलता है, आज भी वहां पर लोगों के रहने का प्रमाण उनके घर के प्रमाण और उनके द्वारा प्रयोग में लिए जाने वाले समस्त साधनों के प्रमाण भी देखने को मिलते हैं।


भानगढ़ कैसे जाये:-वर्तमान में भानगढ़ एक अच्छा पर्यटक स्थल है, यहां पर दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं। यदि आप भी इस स्थान पर जाना चाहते हैं तो आपको राजस्थान आना होगा। भानगढ़ अलवर जिले में स्थित है दिल्ली से जयपुर जाने वाले हाईवे पर यह स्थित है। परंतु जब भी आप यहां पर घूमने के लिए जाएं तब सुबह जल्दी जल्दी यहां पर पहुंच जाएं क्योंकि शाम को 6:00 बजे के बाद इस किले में प्रवेश पर बंद कर दिया जाता है। इस प्रकार से भानगढ़ आज पूरे भारत में एक भूतिया स्थान के नाम से प्रसिद्ध हो चुका है।

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