सालासर बालाजी मंदिर चूरू राजस्थान
नमस्कार दोस्तों, आज के लेख में सालासर में स्थित प्रसिद्ध बालाजी के मंदिर के बारे में आपको पूरा विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। इस मन्दिर में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु धोक लगाने आते हैं। साल में यहां दो बार विशाल मेलो का आयोजन भी होता है। पूरे भारत से यहां पर लोग धोक लगाने व अपनी मन्नत मांगने के आते हैं। इन सब के अलावा यहां पर सारे राजनेता,खिलाड़ी व अन्य बड़े व्यवसायी भी धोक लगाने के लिए आते रहते हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां पर धोक लगाता है बालाजी महाराज उसकी इच्छा जरुर पूरी करते हैं।
सालासर बालाजी मंदिर का परिचय:- ऐसा माना जाता है कि असोटा के एक किसान द्वारा खेत जोतने का कार्य किया जा रहा था। तभी यह मूर्ति उसके हल से टकराई। उसके बाद उस जाट किसान ने इस मूर्ति को पोछकर साफ किया। उसके बाद उसकी पत्नी के आगमन के बाद दोनों ने मिलकर उस मूर्ति को पहली बार चूरमे का भोग लगाया, इसलिए आज भी बालाजी को चूरमे का भोग लगाया जाता है। उस रात बालाजी ने उस किसान को सपने में दर्शन दिए और उस मूर्ति को अपनी बैलगाड़ी में लेकर जाने को बोला और यह वचन दिया की जहा भी बैल थक जाए वही इस मूर्ति को स्थापित कर देना। यही कारण है आज भी वही बैलगाड़ी मन्दिर परिसर में सुसज्जित तरीके से विराजमान हैं। सालासर बालाजी हनुमान भक्तो के लिए एक धार्मिक स्थल है। भारत में यह एकमात्र बालाजी मन्दिर है जिसमें बालाजी के दाढ़ी और मूछें है। इस मन्दिर का संचालन श्री हनुमान सेवा समिति द्वारा किया जाता है। मन्दिर में पूजा अर्चना पुजारी परिवार द्वारा की जाती है।
सालासर बालाजी का मेला कब भरता है :- वैसे तो बालाजी मंदिर में रोजाना श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, परन्तु मंगलवार, शनिवार व रविवार को यहां खूब भीड़ देखने को मिलती है। इसके अलावा यहां पर दो बड़े मेलों का आयोजन भी होता है। जिसमे पहला मेला चैत्र माह के शुक्ल पक्ष में प्रथमा से पूर्णिमा तक मेला भरता है व दुसरा मेला आश्विन के शुक्ल पक्ष में प्रथमा से पूर्णिमा तक भरता है। इन मेलों के दौरान यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन करते हैं। दर्शन करने के लिए भक्तो की 2-3 किमी कतार लग जाती है। हनुमान सेवा समिति के निर्देशन में इन मेलों का आयोजन होता है। सभी श्रदालुओ को यह समिति विभिन्न तरह की सुविधा भी प्रदान कराती हैं।
सालासर बालाजी मंदिर कहा है:- राजस्थान के चूरू जिले की सुजानगढ़ तहसील से 30 किलोमीटर दूर सालासर गांव में यह मंदिर स्थित है। यह जयपुर बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। यह सीकर से 60 किलोमीटर, लक्ष्मणगढ़ से 30 किमी, रतनगढ़ से 50 किमी की दूरी पर स्थित है। सालासर में मन्दिर से ही कुछ दूरी पर बस स्टैंड है जहां से विभिन्न शहरों के लिए बसों का संचालन भी किया जाता है। यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन सीकर, सुजानगढ़, लक्ष्मणगढ़, रतनगढ़ व चूरू लगते हैं।
सालासर में दर्शनीय स्थल :- सालासर में बालाजी मंदिर में मोहनदास जी की धुनि भी एक दर्शनीय स्थल है। मोहनदास जी बालाजी के परम भक्त थे और उन्होने ही उस धुनि की शुरूआत की थी। जो की आज भी पूरे समय प्रज्वलित रहती है। इसके अलावा माता अंजनी का मंदिर भी यहां का प्रसिद्ध स्थल है। अंजनी जो कि बालाजी की माता थी। इसके अलावा सालासर में एक बालाजी गौशाला का भी संचालित की जाती है जो की काफी खूबसूरत के साथ बहुत दर्शनीय भी है। यहां का वातावरण भी काफी मनमोहक है ओर पूरे शहर को काफ़ी साफ सुथरा रखा जाता है।
सालासर में रुकने व खाने की सुविधाएं:- सालासर में ठहरने व खाने के लिए आपको समुचित व्यवस्था मिल जायेगी। यहां पर रुकने के लिए हर श्रेणी की होटल नुमा धर्मशाला मिल जायेगी। जो की मंदिर के आस पास के क्षेत्र में ही स्थित है। इन्ही धर्मशालाओं में खाने की तमाम प्रकार की सुविधा मिल जायेगी। इसके अलावा यहां पर बहुत सारे रेस्टोरेंट भी है। जहां पर उचित दर पर अच्छा खाना मिल जायेगा। उम्मीद है कि आपको तमाम जानकारी मिल चुकी है। इसके अलावा कोई भी सवाल है तो आप कॉमेंट कर सकते हैं आपको जवाब मिल जाएगा।
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