खाटूश्याम मन्दिर की सम्पूर्ण जानकारी
राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटूश्याम जी का मन्दिर पूरे भारत वर्ष में एक प्रसिद्ध स्थल है। यहां पर लाखों श्रद्धालु धोक लगाने के लिए आते हैं। इस मन्दिर की ये विशेषता रही है कि जो भी यहां धोक लगाने के लिए आता है उसकी मनोकामना बाबा श्याम जरुर पूरी करते हैं। यहां आने वाले सभी भक्तो की झोली श्याम बाबा जरुर भरते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि यह मन्दिर पूरे भारत वर्ष में इतना प्रसिद्ध क्यों हैं। इस मन्दिर का इतिहास क्या है। इस मन्दिर की सम्पूर्ण जानकारी आपको मिलेगी तो आप इस लेख हमारे साथ अंत तक जरुर बने रहें।
खाटूश्याम मन्दिर का इतिहास:- खाटूश्याम मन्दिर का इतिहास महाभारत से जुड़ा हुआ है। जिसमे भीम के पुत्र कठोत्कच का पुत्र बर्बरीक हुआ था। कठोर तपस्या के कारण बर्बरीक को वरदान प्राप्त हुआ था। बर्बरीक के पास केवल तीन तीर थे। वो तीनो तीर इतने घातक थे कि एक तीर से ही पूरे महाभारत के युद्ध को समाप्त कर सकते थे। इस कारण बर्बरीक ने यह निर्णय लिया की वो कमजोर पक्ष की और से युद्ध करेंगे। जिससे युद्ध न्यायपूर्ण रह सके। ऐसी स्थिति में दोनों पक्षों का विनाश निश्चित था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से दान में उसका सिर ( शीश दान ) मांगा। बर्बरीक ने स्वयं को नारायण के हाथों मिलने वाली मृत्यु को स्वीकार किया, और श्रीकृष्ण को अपना सिर दान कर दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को यह आशीर्वाद दिया कि कलयुग में उसको श्याम के नाम से पूजा जाएगा। खाटूश्याम जी मंदिर का निर्माण 1027 ईस्वी में खाटू नरेश रूपसिंह ने करवाया था। खाटूश्याम मन्दिर पूरे भारत में कृष्ण जी मंदिरों में से सबसे अधिक लोकप्रिय है। इसे कलयुग में श्रीकृष्ण का अवतार भी मानते हैं।
खाटूश्याम मन्दिर कैसे जाएं:- खाटूश्याम जी मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। यह मन्दिर बीकानेर आगरा मार्ग पर रिंगस से करीब 20 किमी दूरी पर स्थित है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन रिंगस जंक्शन है जहां से यह मन्दिर 15 किमी दूर है। रेलवे स्टेशन से बाहर टैक्सी, ऑटो रिक्शा जैसे साधन आसानी से मिल जाते हैं। रिंगस जयपुर रेलवे स्टेशन से 60 किमी की दूरी पर स्थित है। रिंगस से सीकर, जयपुर, दिल्ली, फुलेरा, अजमेर,चूरू, बीकानेर के लिए ट्रेनें जाती है। इसके अलावा बीकानेर आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी बसे आसानी से मिल जाती है।
खाटूश्याम जी मेला कब लगता है :- हर साल खाटूश्याम मन्दिर में फाल्गुन के महीने में सबसे बड़ा मेला भरता है। यह मेला अष्टमी से द्वादशी तक मनाया जाता है। इस अवसर पर पूरे देश भर से लोग यहां पहुंचते हैं। खाटूश्याम मन्दिर के पास ही एक कुंड भी बना हुआ है। इसे श्यामकुंड के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुंड को खोदकर खाटूश्याम जी का कटा हुआ सिर निकला था। ऐसी मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस कुंड में स्नान करता है तो उसके सारे दोष दूर हो जाते हैं और उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है। खाटूश्याम को हारे का सहारा भी कहते हैं।
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