Friday, 10 March 2023

Karani Mata Temple,Karani Mata Temple Bikaner,Deshnok Karani Mata,Deshnok Karani Mata Mandir

 देशनोक करणी माता मन्दिर ( Karani Mata Temple ) 

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नमस्कार दोस्तों, भारत को आस्थाओं का देश कहा जाता है। यहां पर पूरे देश में बहुत सारे मन्दिर हैं। हर मन्दिर की अपनी कोई न कोई अलग विशेषता जरुर देखने व सुनने को जरुर मिलती है।Karani mata Temple जो कि राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है।karani mata Temple भी एक प्रसिद्ध मन्दिर है। जहां पर लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। आज इस लेख में karani mata Temple Bikaner के बारे में आपको पूरी जानकारी देखने को मिलेगी, इसलिए आप इस लेख में अन्त तक जरुर बने रहें। Deshnok Karani Mata जिसे ' चूहों की देवी' भी कहा जाता है।


करणी माता मन्दिर का इतिहास (Karani Mata Temple):- karani Mata Mandir एक प्रसिद्ध मन्दिर है। Karani Mata का जन्म चारण कुल में हुआ था। इस मन्दिर में करीब 25 हजार के आस पास चूहे विचरण करते हैं, जिन्हें काबा कहा जाता है। ये चूहे मन्दिर परिसर से बाहर कभी नहीं जाते हैं। इन सब कारणों से यह मन्दिर अन्यों मंदिरों से भिन्न विशेषता रखता है। मन्दिर में सफेद चूहों के दर्शन बहुत ही मंगलकारी माना जाता है, यदि आपको सफेद चूहों के दर्शन होते है तो आपको अपनी मंजिल में बहुत ही तरक्की मिलेगी। मन्दिर के मुख्य द्वार पर सफेद संगमरमर से नक्काशा हुआ है। चांदी के दरवाजे, सोने के छत्र व चूहों के लिए प्रसाद के लिए रखी गई बड़ी सी चांदी की परात काफ़ी दर्शनीय है। ये चूहे मन्दिर परिसर में घूमते रहते है परन्तु किसी भी भक्त को ये नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। Karani Mata temple का निर्माण महाराज गंगासिंह ने करवाया था।

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Deshnok Karani mata Mandir:- राजस्थान के बीकानेर जिले में देशनाेक में यह मंदिर स्थित है। बीकानेर से यह मन्दिर करीब 30 किमी दूरी पर है। यह मन्दिर बीकानेर से नोखा जाने वाले राजमार्ग पर स्थित है। देशनोक में रेलवे स्टेशन भी है। जहां से karani mata Temple की दूरी महज 1 किमी है। रेलवे स्टेशन से मन्दिर जाने के लिए आपको आसानी से टैक्सी, ऑटो मिल जाते हैं। 


देशनक करणी माता (Karani Mata Temple Bikaner) :- इस मन्दिर में चैत्र शुक्ल पक्ष व आश्विन शुक्ल पक्ष को प्रथमा से नवमी तक नवरात्रि का आयोजन होता है। इस शुभ अवसर पर यहां पर विशाल मेला भी भरता है। श्रद्धालुओं के रुकने के लिए मन्दिर के पास में धर्मशालाएं भी है। मंगला आरती के समय सारे चूहे बिलों से बाहर आ जाते हैं। ये चूहे भक्तो के कही भी विराजमान हो जाते हैं, परन्तु कोई नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। गलती से भी किसी चूहे को चोट मारना यहां पाप माना जाता है, यदि किसी से गलती से भी चूहे की हानि हो जाति है उसे दण्ड के रूप में सोने से निर्मित चूहा भेंट करना होता है। इसलिए मंदिर में karani Mata के दर्शन के लिए जाते समय सभी श्रद्धालु पैर घसीटते हुए चलते हैं क्योंकि पैर उठाकर चलने से चूहों के पैरो के नीचे आने का खतरा रहता है। इतने चूहे किसी अन्य मंदिर में नहीं देखने को मिलते हैं। इन कारणों से ही इस मंदिर को चूहों का मन्दिर भी माना जाता है। यहां दर्शन के लिए जाते समय चूहों के लिए प्रसाद लेके जाना शुभ माना जाता है, प्रसाद के रूप में भुने हुए चने,दूध व मिठाई इन चूहों को खिलाया जाता है।


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