भारतीय इतिहास
मौर्य साम्राज्य काल (322 ई. पूर्व से 185 ई. पूर्व)
1. चन्द्रगुप्त मौर्य :– (322–298 ई. पूर्व)
*चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य की आज्ञा से नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद को पराजित कर मगध पर अधिकार किया तथा मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
*जस्टिन ने चन्द्रगुप्त की सेना को ‘डाकुओं का झुंड’ कहा है।
*प्लू टार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने छ लाख की सेना को इकट्ठा कर सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला।
*305 ई. में चन्द्रगुप्त ने सीरिया के शासक सेल्युकस निकेटर को पराजित किया, तथा संधि के तहत सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलना का विवाह चन्द्रगुप्त के साथ करवाया।
*चन्द्रगुप्त ने अंतिम समय में जैनमुनि भद्रबाहु से [जैन धर्म] की दीक्षा ली।
*चन्द्रगुप्त ने 298 ई. पूर्व में सलेखना विधि द्वारा अपने प्राण त्याग दिए।
*सेल्क्युस ने मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा , जिसने इंडिका की रचना की तथा विशाखदात के मुद्राराक्षस से भी मौर्य वंश की स्थापना की जानकारी प्राप्त होती हैं।
नोट:–( सलेखना विधि= बिना अन्न जल ग्रहण किए अपने प्राणों का न्योछावर करना सलेखना विधि कहलाती हैं।)
मौर्य साम्राज्य काल (322 ई. पूर्व से 185 ई. पूर्व)
1. चन्द्रगुप्त मौर्य :– (322–298 ई. पूर्व)
*चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य की आज्ञा से नंद वंश के अंतिम शासक घनानंद को पराजित कर मगध पर अधिकार किया तथा मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
*जस्टिन ने चन्द्रगुप्त की सेना को ‘डाकुओं का झुंड’ कहा है।
*प्लू टार्क के अनुसार चन्द्रगुप्त ने छ लाख की सेना को इकट्ठा कर सम्पूर्ण भारत को रौंद डाला।
*305 ई. में चन्द्रगुप्त ने सीरिया के शासक सेल्युकस निकेटर को पराजित किया, तथा संधि के तहत सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलना का विवाह चन्द्रगुप्त के साथ करवाया।
*चन्द्रगुप्त ने अंतिम समय में जैनमुनि भद्रबाहु से [जैन धर्म] की दीक्षा ली।
*चन्द्रगुप्त ने 298 ई. पूर्व में सलेखना विधि द्वारा अपने प्राण त्याग दिए।
*सेल्क्युस ने मेगस्थनीज को चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा , जिसने इंडिका की रचना की तथा विशाखदात के मुद्राराक्षस से भी मौर्य वंश की स्थापना की जानकारी प्राप्त होती हैं।
नोट:–( सलेखना विधि= बिना अन्न जल ग्रहण किए अपने प्राणों का न्योछावर करना सलेखना विधि कहलाती हैं।)
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