भारत का इतिहास
गुप्तकाल:- (300-500 ई. पूर्व)
*श्री गुप्त इस वंश का (319-325) संस्थापक कहलाता हैं, जिसने 275 ई. में गुप्तवंश की स्थापना की।
*रीवा (mp) अभिलेख में गुप्त शासकों को घटोत्कच के वंशज बताया गया है।।
चन्द्र गुप्त प्रथम
*यह घटोत्कच्छ का पुत्र था तथा इसने अपने राज्याभिषेक (319-20 ई.) के अवसर पर गुप्तसंवत चलाया था।
*इसने लिछछी की राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया था।
*इसने कुमार देवी प्रकार के सिक्के चलाए।
*इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की तथा यह उपाधि धारण करने वाला यह प्रथम गुप्त शासक था।
समुन्द्रगुप्त :- (335-375 ई.)
*यह चन्द्रगुप्त का प्रथम पुत्र था। इसने अपने साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार किया।
*इसने उतर के नौ व दक्षिण भारत के बारह राजाओं को पराजित किया।
*उतर भारत के राजाओं के प्रति इसने ग्रहणमोचनूम् की नीति को अपनाया।
*विदेशी शासकों को अधीन करने के लिए इसने तीन नीतियों का प्रयोग किया।
1. आत्मनिवेदनम
2. कन्यपायनम
3. गुरूहत्यक्तम पस्वविष्यमुक्तिम शासनम याचनम।।
*समुद्रगुप्त को कविराज, धर्मप्रचार, रघु, प्रथू, नारद, तुंबुर, लक्ष्मी एवम सरस्वती के विरोध को मिटाने वाला कहा गया है।
*एरण अभिलेख में इसे प्रसन्न होने पर कुबेर के समान व रूष्ट होने पर यम के समान बताया गया है।
*विसेंट स्मिथ ने इसे भारत का नेपोलियन कहा है।
*इसने छ प्रकार के सिक्के चलाए:-
१. अश्वमेध प्रकार २. गरुड़ प्रकार ३. पाशु प्रकार ४.. धनुर्धारी प्रकार ५. व्याघ्र हनन प्रकार ६. वीणावादन प्रकार।।
नोट:- शेष शासकों की जानकारी क्रमशः अगले पार्ट दी जाएगी।।
गुप्तकाल:- (300-500 ई. पूर्व)
*श्री गुप्त इस वंश का (319-325) संस्थापक कहलाता हैं, जिसने 275 ई. में गुप्तवंश की स्थापना की।
*रीवा (mp) अभिलेख में गुप्त शासकों को घटोत्कच के वंशज बताया गया है।।
चन्द्र गुप्त प्रथम
*यह घटोत्कच्छ का पुत्र था तथा इसने अपने राज्याभिषेक (319-20 ई.) के अवसर पर गुप्तसंवत चलाया था।
*इसने लिछछी की राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया था।
*इसने कुमार देवी प्रकार के सिक्के चलाए।
*इसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की तथा यह उपाधि धारण करने वाला यह प्रथम गुप्त शासक था।
समुन्द्रगुप्त :- (335-375 ई.)
*यह चन्द्रगुप्त का प्रथम पुत्र था। इसने अपने साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार किया।
*इसने उतर के नौ व दक्षिण भारत के बारह राजाओं को पराजित किया।
*उतर भारत के राजाओं के प्रति इसने ग्रहणमोचनूम् की नीति को अपनाया।
*विदेशी शासकों को अधीन करने के लिए इसने तीन नीतियों का प्रयोग किया।
1. आत्मनिवेदनम
2. कन्यपायनम
3. गुरूहत्यक्तम पस्वविष्यमुक्तिम शासनम याचनम।।
*समुद्रगुप्त को कविराज, धर्मप्रचार, रघु, प्रथू, नारद, तुंबुर, लक्ष्मी एवम सरस्वती के विरोध को मिटाने वाला कहा गया है।
*एरण अभिलेख में इसे प्रसन्न होने पर कुबेर के समान व रूष्ट होने पर यम के समान बताया गया है।
*विसेंट स्मिथ ने इसे भारत का नेपोलियन कहा है।
*इसने छ प्रकार के सिक्के चलाए:-
१. अश्वमेध प्रकार २. गरुड़ प्रकार ३. पाशु प्रकार ४.. धनुर्धारी प्रकार ५. व्याघ्र हनन प्रकार ६. वीणावादन प्रकार।।
नोट:- शेष शासकों की जानकारी क्रमशः अगले पार्ट दी जाएगी।।
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