Wednesday, 3 March 2021

गुप्तकाल, चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय, गुप्तकाल का इतिहास,Indian History

                  गुप्तकाल

        समुद्रगुप्त, चंद्रगुप्त द्वितीय, गुप्तकाल का इतिहास,Indian History


श्रीगुप्त इस वंश का(319-325 ई) संस्थापक कहलाता हैं, जिसने 275 ई में इस वंश की स्थापना की।

श्रीगुप्त की मृत्यु पश्चात घटोत्कच शासक बना।

रीवा के अभिलेख में गुप्त शासकों को घटोत्कच के वंशज बताया है।

चंद्रगुप्त प्रथम

यह घटोत्कच का पुत्र था इसने अपने राज्याभिषेक 319-20 ई के अवसर पर गुप्तसंवत चलाया था।

इसने लिच्छिवी की राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया व इसने कुमारदेवी प्रकार के सिक्के चलाए।

इसने महराजाधिराज की उपाधि धारण की।

समुद्रगुप्त

इसने अपने साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार किया इसने उतर के नौ व दक्षिण भारत के 12 राजाओं को पराजित किया।

उतर भारत के राजाओं के प्रति इसने जड़ मूल से समाप्त नीति को अपनाया।

विदेशी शासकों को अधीन करने के लिए इसने तीन नीतियों को अपनाया

1. आत्मनिवेदन

2. कन्योपायनम

3. गुरुहत्यक्तम पस्वाविश्यमुक्ती शासन याचनम

समुद्रगुप्त को कविराज, धर्मप्रचार, बंधु, नारद, तुंबुर, लक्ष्मी, एवम सरस्वती के विरोध को मिटाने वाला बताया गया है।

विसेंट स्मिथ ने इसे भारत का नेपोलियन कहा है

समुद्रगुप्त के बारे में जानने का प्रमुख साधन प्रयाग प्रशस्ति है। जिसकी रचना समुद्रगुप्त के संधि विग्राहक हरिषेंन ने की थी।

गुप्त वंश का राजकीय चिन्ह गरुड़ था।

समुंदर गुप्त ने विजय के पश्चात अश्वमेध यज्ञ किया था।

समुंदर गुप्त ने बौद्ध विद्वान वसुबंधु को संरक्षण प्रदान किया था।

समुंदर गुप्त को कुछ सिक्कों पर वीणा बजाते हुए दर्शाया गया है 


चंद्रगुप्त द्वितीय


इसने नागवंश की कुबेरनागा से विवाह किया।

इसने रुद्रसेन सेकंड के साथ मिलकर शक के शासक रुद्रसिंह थर्ड को पराजित कर शको का साम्राज्य समाप्त किया।

इसने व्याघ्र  चांदी के सिक्के चलाए।

चांदी के सिक्के चलाने वाला प्रथम गुप्त शासक था।

चंद्रगुप्त द्वितीय ने राज्यारोहण के उपलक्ष में मथुरा अभिलेख खुदवाया था।

चंद्रगुप्त की पुत्री का नाम प्रभावती गुप्त था जिसका विवाह वाकाटक शासक रूद्र सेन द्वितीय के साथ हुआ था।

चंद्रगुप्त द्वितीय ने अपने पुत्र कुमारगुप्त का विवाह कदंब वंश की राजकुमारी अनंत देवी से किया।

चंद्रगुप्त द्वितीय को भारतीय अनुश्रुतियो में सकारि कहा गया है।

इसने पाटलिपुत्र के स्थान पर उज्जैन को अपनी राजधानी बनाया।

चंद्रगुप्त के दरबार में नवरत्न रहते थे।

1. कालिदास 2. वराह मिहिर

3. वर रुचि 4. क्षपनक

5., धनवंतरी 6. घटकरपर

7. अमर सिंह 8. शंकु

9. बेतालभट्ट


शेष जानकारी अगली पोस्ट में आपको क्रमशः मिल जाएगी



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